Sagar's
Monday, May 24, 2010
ज़िन्दगी
ये जिंदगी हर रोज़ इम्तिहान लेती है, कभी सच तो कभी झूठ के दरमियाँ लेती है,
ये हर रोज़ ये ज़ख़्म लगा जाती है, पर उसे भरने का हौसला भी दे जाती है,
ये कभी समंदर मे तूफान उठा देती है, तो कभी कश्ती साहिल पे लगा देती है,
ये जिंदगी, हर रोज़ तुझे क़त्ल कर, तेरे जीने के सबब सिखला जाती है
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