Sagar's
Saturday, April 24, 2010
अगर ज़िन्दगी ..
गर ज़िन्दगी है तो मौत से बत्तर क्यों है ,
गर मंजिले है तो राह समंदर क्यों है ,
गर तन्हाई ही मुक्कदर है तो फिर ये इंतज़ार क्यों है ,
गर हमसफ़र है तो ज़िन्दगी की राहो मे हम अकेले क्यों है ....
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